PUBLISHED : Aug 21 , 8:43 PM
नई दिल्लीः सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में मंगलवार को हड़ताल की वजह से बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. सरकार के एकीकरण के कदम और कुछ अन्य मांगों के समर्थन में यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के तत्वावधान में सभी बैंक यूनियनों ने 22 अगस्त (मंगलवार) को हड़ताल का आह्वान किया है. हालांकि, निजी क्षेत्र के आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक, एक्सिस और कोटक महिंद्रा बैंक में कामकाज सामान्य रहने की संभावना है. इन बैंकों में चेक समाशोधन में देरी हो सकती है.
सरकार के एकीकरण के कदम के खिलाफ हैं बैंक
यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) नौ यूनियनों का प्रमुख निकाय है. इसके तहत आल इंडिया बैंक आफिसर्स कनफेडरेशन (एआईबीओसी), आल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) और नेशनल आर्गेनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) आती हैं. एआईबीओसी के महासचिव डी टी फ्रैंको ने कहा, ‘मुख्य श्रम आयुक्त के साथ सुलह सफाई बैठक विफल रही है. अब यूनियनों के पास हड़ताल पर जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. सरकार और बैंकों के प्रबंधन की ओर से कोई आश्वासन नहीं मिला है.’उन्होंने कहा कि यूनियनों की मांगों पर समाधान के सभी प्रयास विफल हो गए हैं. ऐसे में अब यूएफबीयू ने 22 अगस्त को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है.
एआईबीईए के महासचिव सी एच वेंकटचलम ने कहा, ‘हमारी मांगों में गैर निष्पादित आस्तियों को बट्टा खाते में नहीं डालना, जानबूझकर कर न चुकाने को आपराधिक अपराध घोषित करना और एनपीए की वसूली के लिए संसदीय समिति की सिफारिशों को लागू करना शामिल है.’
उन्होंने यह भी कहा कि बैंकों को कारपोरेट एनपीए का बोझ शुल्क बढ़ाकर ग्राहकों पर नहीं डालना चाहिए. वेंकटचलम ने कहा कि सरकार को बैंक बोर्ड ब्यूरो को समाप्त करना चाहिए. यूएफबीयू का दावा है कि उसके सदस्यों की संख्या 10 लाख है. बैंकिंग क्षेत्र के कुल कारोबार का 75 प्रतिशत 21 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के हिस्से आता है.
बैंक हड़ताल के लिए सरकारी उदासीनता जिम्मेदार: एनओबीडब्ल्यू
भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) से जुड़े बैंक कर्मियों के एक संगठन ने सरकारी बैंकों में मंगलवार को होने वाली हड़ताल के लिए कर्मचारियों की मांगों के प्रति सरकार की उदासीनता को जिम्मेदार ठहराया है. गैर तलब है कि सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण और विलय के खिलाफ बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के संयुक्त संगठन ‘यूनाइटेड फोरम आफ बैंक यूनियंस’ने 22 अगस्त को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है.
यूनियनों का दावा है कि इस हड़ताल को बैंकों की पांच कर्मचारी और चार अधिकारी यूनियनों के करीब 10 लाख बैंक कर्मियों का समर्थन प्राप्त है.
बीएमएस से सम्बद्ध नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) की सोमवार को जारी विज्ञप्ति के अनुसार सरकार ने हड़ताल को टालने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं. इसलिए हड़ताल के कारण बैंक ग्राहकों को होने वाली किसी भी दिक्कत के लिए सीधे सरकार ही जिम्मेदार होगी. यूनियनों ने हड़ताल के लिए 3 अगस्त को ही नोटिस दे दिया था. एनओबीडब्ल्यू के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा ने कहा है कि सरकार बैंक कर्मियों की मांग को लेकर ‘उदासीन’ बनी हुई है. राणा ने कहा कि यदि सरकार ने इन मांगों पर गौर नहीं किया तो आने वाले दिनों में और भी हड़ताल हो सकती हैं.